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हरित क्रांति क्या है इसके कारण और परिणाम

आज़ादी के बाद के दशकों में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था उनमे से एक थी खाद्यान की समस्या। इसी कारण बंगाल साइड में 4 मिलियन लोग मारे गए। उस समय भारत ने दो युद्धों का भी सामना किया था। जिस कारण भारत के पास विदेशी मुद्रा की कमी थी। देश में चारों और भुखमरी फेल गई थी। हालात इतने बिगड़ चुके थे की सरकारों ने राज्यों के बीच खाद्यान्न के व्यापार को बंद कर दिया। इसको जोनिंग या इलाकाबन्दी कहा गया।

इसी भुखमरी और खाद्यान के क्षेत्र में उन्नति के लिए भारत में हरित क्रांति की शुरूआत हुई। इस ब्लॉग में हम हरित क्रांति क्या है इसके प्रमुख कारण इससे हुए फायदे और नुकसान के बारे में बात करेंगे। विश्व  में 'हरित क्रांति के जनक' (Father of Green Revolution) के रूप में 'नॉर्मन बोरलॉग' को माना जाता है तथा भारत में हरित क्रांति के जनक एम॰ एस॰ स्वामीनाथन थे।

हरित क्रांति क्या है

भारत में हरित क्रांति

हरित क्रांति (Green Revolution) एक ऐसा कृषि आंदोलन है जिसने भारत में कृषि क्षेत्र को सुधारने में अद्भुत परिणाम दिया। यह क्रांति 1960 के दशक से लेकर 1970 के दशक के आसपास भारत में आयी थी।

हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य था किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना और भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना। इस क्रांति के दौरान, कृषि क्षेत्र में नयी तकनीकों का उपयोग किया गया और नए बीजों की खेती की गई, जैसे की हाइ-यिल्डिंग वेराइटी (High Yielding Varieties- HYVs) किस्म के बीजों की खेती और बेहतर उर्वरकों का उपयोग किया गया।

इसके परिणामस्वरूप, फसलों की उपज में वृद्धि हुई, और भारत खाद्य सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर हो गया। इसके साथ ही, किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ, क्योंकि उन्हें अधिक मात्रा में फसलें बेचने का मौका मिला।

हरित क्रांति के शुरुआत के कारण

खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता: आजादी के बाद भारत में जनसंख्या बढ़ गई और खाद्य संसाधनों में कमी आई। हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य था भारत की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना।

अधिक उत्पादन की आवश्यकता: खाद्य उत्पादन में कमी के कारण, भारत को अधिक फसलों की आवश्यकता थी जिससे की लोगों के खाने की आवश्यकता को पूरा किया जा सके।

नई तकनीकों की आवश्यकता: हरित क्रांति के पहले भारत में कृषि जगत में तकनिकी की कमी थी। ज्यादातर खेती पारम्परिक तरीकों से करी जा रही थी जो की उन्नत खाद्यान के लिए काफी नहीं था।

किसानों की आर्थिक स्थिति: हरित क्रांति का एक उद्देश्य किसानों आय में वृद्धि करना भी था। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता था।

विज्ञान और तकनीकी विकास: इस समय विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उन्नति हुई थी, जिससे खेती की नई  तकनीकों के विकास में मदद मिली।

सरकार का समर्थन: सरकार ने हरित क्रांति को प्रोत्साहित किया और इसके लिए कृषि नीतियों का समर्थन किया, जिससे इस क्रांति को आगे बढ़ाने में मदद मिली।

इन कारणों के साथ, हरित क्रांति भारत के कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर सुधारने का माध्यम बनी और ने खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान किया।

हरित क्रांति के परिणाम

हरित क्रांति के परिणाम के रूप में भारत के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आये:

उत्पादन की वृद्धि: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, खेती की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई। यह विशेष रूप से गेहूं, चावल, मक्का, और कई अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि के रूप में दिखाई दी।

खाद्य सुरक्षा: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, भारत ने अपनी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया। इसने भारत को खाद्यान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया। 

किसानों की आय वृद्धि: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। इसके कारण फसलों में वृद्धि हुई जिससे किसानो के पास बड़ी मात्र में बेचने के लिए फसलें हो गई।

नई खेती तकनीकों का प्रयोग: हरित क्रांति ने नई खेती तकनीकों का प्रयोग को प्रोत्साहित किया, जैसे कि उर्वरकों का उपयोग और हाइ-यील्डिंग वारिटी की खेती, जो फसलों के उत्पादन को बढ़ा दिया।

ग्रामीण अवसर: हरित क्रांति ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद की।

विज्ञान और तकनीकी विकास: हरित क्रांति ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उन्नति को प्रोत्साहित किया, जिससे नई खेती तकनीकों के विकास में मदद मिली।

किसान उद्धारण: किसान उद्धारण कार्यक्रम वहाँ किसानों की मदद करते हैं जहाँ वे किसी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

खेती की तकनीकी शिक्षा: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, किसानों को खेती की तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला, जिससे उनकी खेती कौशल में सुधार हुआ।

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हरित क्रांति के नुकसान 

जैसा की हर चीज़ के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं वैसे ही हरित क्रांति से भी कई नुकसान हुए जो निम्नलिखित हैं-

जलवायु परिवर्तन: हरित क्रांति के बाद, कुछ क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बर्फबारी सामान्य हो गई, जिसके चलते कई बार फसलों को नुकसान होता है।

जल संकट: हरित क्रांति ने किसानों को ज्यादा पैमाने पर पानी का उपयोग करने की दिशा में बढ़ोतरी की, जिससे कुछ क्षेत्रों में जल संकट की समस्या बढ़ गई है।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: कुछ उर्वरकों और कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया गया, जिससे मानव स्वास्थ्य को हानि हुई।

बायोडाइवर्सिटी का खतरा: बढ़ती खेती के चलते कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग किया गया। इससे कुछ प्राकृतिक जीवों की प्रजातियों के लिए बायोडाइवर्सिटी का खतरा होने लगा।

किसानों की आर्थिक असमानता: हरित क्रांति के फायदे सभी किसानों तक नहीं पहुंचे जिसके कारण क्षेत्रीय और सामाजिक असमानता भी बड़ी। इस क्रांति के कारण गरीब किसानों और भू स्वामियों में अंतर और ज्यादा मुखर हो गया। जिसके कारण वामपंथी संगठनों को गरीब किसानों को लामबंद करने के लिहाज से अनुकूल परिस्थिति मिल गई।

भूमि संकट: हरित क्रांति के चलते ज़्यादा उपज करने के लिए ज़्यादा भूमि का उपयोग हुआ, जिसके कारण भूमि संकट बढ़ा।

सामाजिक और आर्थिक परिणाम: हरित क्रांति के कारण एक बड़ी जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर माइग्रेट हुई, जिससे समाजिक और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे कि शहरों में बेरोजगारी और आवास की समस्या।

निष्कर्ष

हरित क्रांति ने भारत के कृषि क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन किया, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ, किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया, और उत्पादन में वृद्धि हुई। हालांकि इसके साथ ही इसने पर्यावरण, जल संकट, और बायोडाइवर्सिटी को भी प्रभावित किया। इसलिए खेती की नई तकनीकों की विकास में भूमिका निर्धारित करने के लिए सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि हम सुकून की जिंदगी जी सकें।

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